NBFC full form and meaning in hindi language

NBFC की फुल फॉर्म क्या होती है?

NBFC की अंग्रेजी में फुल फॉर्म NON BANKING FINANCE COMPANY होती है और इसे हिंदी में गैर बैंकिंग वित्तीय निगम के नाम से जाना जाता है। NON BANKING FINANCE COMPANY एक प्रकार की वित्तीय संस्था होती है। यह किसी भी बैंक के लिए कानूनी परिभाषाएं पूरी नहीं करती है लेकिन इसके बावजूद भी यह आपको बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराती है।

NON BANKING FINANCE COMPANY (NBFC) क्या होता है?

NBFC एक प्रकार से वह कंपनी होती है जो वित्तीय लेंन-देन का कार्य करती है लेकिन NBFC कम्पनियाँ किसी भी रूप से बैंक नहीं होती है। गैर बैंकिंग वित्तीय निगमों को क़ानूनी रूप से बैंक की मान्यता नहीं मिलती है। यह ऐसी वित्तीय कंपनियां होती है जिनके द्वारा किसी राशि को आपको कर्ज के रूप में उपलब्ध कराया जाता है। इस कर्ज को वापस लौटना भी होता है। NBFC को भारत में प्राइवेट या लिमिटेड कंपनी को Companies Act 2013 और फिर कंपनी एक्ट 1956 के अंतर्गत पंजीकृत किया जाता है। मुख्य रूप से NBFC कंपनी के द्वारा लोगों को कर्ज प्रदान कराया जाता है। इसी के अलावा NBFC में निवेश करके भी लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

गैर बैंकिंग वित्तीय निगम में वे सभी कंपनियां शामिल होती हैं जो पैसों की लेन देन का कार्य एकदम बैंक के जैसे करती है। NBFC में लोग अपना पैसा भी जमा करवा सकते है। NBFC पैसों को कई प्रकार के ऋण देने का भी कार्य करती है। NBFC लगभग सभी कार्य वित्तीय बैंक संस्था की तरह करती है। NBFC जमाकर्ता के पैसे किसी योजना के तहत जमा करके मिलने वाले मुनाफे के कुछ हिस्से को जमाकर्ता के साथ बांट लेती है। NBFC कंपनियों की जमा राशि, बीमा,उधार या ऋण, शेयर और स्टोक्स में भी पैसे निवेश करता है। यह जमाकर्ता के पैसे किसी योजना के तहत जमा करके मिलने वाले मुनाफे का कुछ हिस्सा जमाकर्ता के साथ भी बांटती है। NBFC कंपनी की जमा राशि, बीमा, उधार या ऋण, शेयर और स्टोक्स में भी पैसे निवेश करता है। NBFC के आंकड़ों को भारत मे मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉर्पोरेट अफेयर के द्वारा देखा जाता है और भारत मे मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉर्पोरेट अफेयर के वर्ष 2014 के आंकड़ो के अनुसार भारत में 36 हजार से भी अधिक फाइनेंस कम्पनियां पंजीकृत है। इन आंकड़ों के अनुसार सबसे प्रमुख फाइनेंस कम्पनियों के प्रमुख कार्य इस प्रकार है: 

NBFC, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां। यह कंपनी कुछ अधिनियमों के तहत पंजीकृत होतीं है। इसे अधिकतर केंद्रीय बैंक या भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नियंत्रित किया जाता है। ये संस्थाएं बैंक की नहीं होती हैं ओर न ही ये बैंक होती है लेकिन फिर भी यह बैंक के जैसे जी उधार देना, ऋण और अग्रिम, क्रेडिट सुविधा उपलब्ध कराना, बचत और निवेश उत्पादों को देखना, मुद्रा बाजार में व्यापार करना, स्टॉक के प्रोटोफोलोयो का प्रबंधन करना, धन हस्तांतरण आदि जैसी कई बैंक से जुड़े कार्य कर सकती है। NBFC किराया, पट्टे, बुनियादी वित्त, उद्यम पूंजी वित्त, आवास वित्त इत्यादि जैसे कार्यो को भी कर सकता है। NBFC पैसों को जमा करती है, लेकिन यह केवल सावधि जमा को स्वीकार करती है। NBFC में आप फिक्स्ड डिपॉजिट भी करवा सकते हैं।

NBFC का इतिहास क्या है?

NBFC की शुरुआत की वर्ष 1960 के दशक में हुई थी। उस वक्त NBFC में पैसा जमा कराने वाले कई लोगों के पैसे डूब गए थे। इस वजह से बहुत से लोगों को आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ा था लेकिन इसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वर्ष 1963 से NBFC पर नजर रखना शुरू कर दिया। RBI ने NBFC के लिए नियम नही बनाना शुरू कर दिए थे। इसलिए NBFC जो भी बैंक जैसी गतिविधियां करती हैं उनके लिए नियम अब भारतीय रिजर्व बैंक ही बनता है। 

जो NBFC बीमा के क्षेत्र में पैसों की लेन देन करने का कार्य करती है उसके लिए नियम इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (IRDA) द्वारा तय किए जाते है। ऐसा इसलिए किया गया ताकि पैसों के घोटालों को नियंत्रित रखा जा सके और इससे लोगों के पैसों को भी सुरक्षित रखा जा सके। जो NBFC वेंचर कैपिटल फंड, मर्चेंट बैंकिंग कंपनी, स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी या म्यूचुअल फंड के रूप में बैंक के जैसे अपना कार्य करती हैं, उनके लिए सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) द्वारा नियम बनाए जाते है। इसी प्रकार से पेंशन फंड PFRDA द्वारा देखे जाते हैं और जो भी चिटफंड कंपनियां होती है उन्हें राज्य सरकार द्वारा देखा जाता हैं। हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए नियम नेशनल हाउसिंग बैंक तय करता है। आज के समय में सरकार की मुद्रा योजना को भी एक NBFC द्वारा ही चलाया जा रहा है। मुद्रा योजना को माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड के नाम से जाना जाता है। NBFC का मुख्य उद्देश्य लोगों अधिक से अधिक वित्तीय मदद प्रदान करना है लेकिन इसका एक और उद्देश्य भी है जो कि गैर-कॉर्पोरेट उद्यमियों के लिए लोन का मुहैया कराना है। 

वर्तमान में NBFC की देख रेख भारतीय रिज़र्व बैंक के अधीन नहीं होती है। इसके लिए अब कुछ विभिन्न कार्य  करने वाली कंपनियों के लिए विभिन्न व्यवस्था की गई है। जैसे की बीमा कंपनियों के लिए आईआरडीए देख रेख करता है, मर्चेंट बैंकिंग कंपनी, वेंचर कैपिटल कंपनी, स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी और म्यूचुअल फंडों के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) देख रेख करता है। आवास वित्त कंपनियों के लिए राष्ट्रीय आवास बैंक (NHB) देख रेख करता है। निधि कंपनियों के लिए कंपनी कार्य विभाग(DCA) देख रेख करता है और चिटफण्ड कम्पनियों के लिए राज्य सरकार देखरेख करती है। NBFC के लिए यह अनिवार्य होता है की वो आरबीआई के पास पंजीकरण करवाने के साथ-साथ उसकी गतिविधियों के आधार पर नेट ओन्ड फंड (NOF) के रूप में न्यूनतम दो करोड़ रुपये की जरूरत पूंजी राशि भी जमा करानी होती है। इसी के साथ उन्हें हर साल उनके लाभ का कम से कम 20 प्रतिशत ट्रांसफर करना होता है और एक रिजर्व फंड भी बनाकर रखना पड़ता है।

सबसे प्रतिष्ठित NBFC कंपनियां कौन सी है?

  • Mahindra Finance
  • TATA Capital
  • Bajaj Finance
  • LIC Housing Finance
  • Indiabulls
  • Fullerton
  • L&T Finance
  • Muthoot Fincorp

NBFC के प्रकार क्या है?

NBFC कंपनियां कई प्रकार की हो सकती है और इन्हें इनके कार्यों के अनुसार विभिन्न श्रेणियों में रखा जाता है। मुख्य NBFC कंपनियां निम्नलिखित है:

  • Asset Finance Company: यह संपती से सम्बंधित सेवाएं प्रदान करती है।
  • Housing finance company: यह होम लोन से सम्बंधित सेवाएं प्रदान करती है।
  • Mortgage Finance Company: यह सम्पतियों के बंधक से सम्बंधित फाइनेंस सेवाएं प्रदान करती है।
  • Investment Company: यह निवेश की सेवाएं प्रदान करती है।
  • Loan Company– यह कर्ज के लेन देन की सेवाएं प्रदान करती है।
  • Infrastructure finance company– यह इन्फ्रास्ट्रक्चर से सम्बंधित कार्यों हेतु फाइनेंस सेवाएं प्रदान करती है।
  • Core investment company– इसके द्वारा पूरी तरह से आप केवल निवेश ही कर सकते है।
  • Micro finance company– यह छोटे कर्ज के लेंन देंन की सेवाएं प्रदान करती है।