GIS full form and meaning in hindi language

GIS की फुल फॉर्म क्या होती है?

GIS की अंग्रेजी में फुल फॉर्म “Geographic Information System” होती है और इसे हिंदी में “भौगोलिक सूचना तंत्र” के नाम से जाना जाता है। भौगोलिक सूचना तंत्र (GIS) एक प्रकार की सूचना प्रौद्योगिकी में आई क्रांति का एक सबसे आधुनिक तकनीक या तंत्र है। भौगोलिक सूचना तंत्र (GIS) को निर्णय सहायक तंत्र के नाम से भी जाना जाता है। एक GIS तंत्र, वायवीय एवं अवायवीय अंकों के समायोजन में भी सक्षम होता है। इससे किसी योजना या किसी चीज़ में निर्णय को लेने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। यह आधिकारिक अंकों को संभाल सकता है और यह अंकों की पुनरावृत्ति को रोक सकता है और इसी के साथ यह भौगोलिक सत्यता के आधार पर भी विविध अंकों का अवलोकन कर कई अतिविशिष्ट जानकारियाँ प्राप्त करने में सक्षम होता है। 

भौगोलिक सूचना तंत्र (GIS) किस प्रकार के उत्तर देने में सक्षम होता है?

भौगोलिक सूचना तंत्र (GIS) निम्नलिखित प्रकार के उत्तर देने में सक्षम होता है:

  • स्थानीय स्थिति या स्थान: यह उत्तर दे सकता है कि स्थान विशेष पर क्या स्थापित है।
  • दशा या हालत: यह उत्तर दे सकता है कि किसी विशेष स्थिति के लिये स्थान विशेष की पहचान क्या है।
  • प्रवृत्ति: यह उत्तर दे सकता है कि पहले से अब तक स्थिति में क्या क्या बदलाव आए है।
  • प्रतिररूप: यह उत्तर दे सकता है कि अन्तरस्थिति का क्रम क्या है।
  • नियोजन: यह उत्तर दे सकता है कि यदि ऐसा होगा तो क्या क्या होगा।

जब GIS का विकास नहीं हुआ था तब इसके पहले इस प्रकार के सभी कार्य मानवीय स्तर पर करे जाते थे। मानवीय स्तर पर यह काम करने से काफी समय लगता है और इसमें काफी पूंजी भी निवेश करनी पड़ती थी। उस समय मानवीय स्तर पर विषय वस्तु का वास्तविक ज्ञान होना भी संभव नहीं था। यह इसलिए क्योंकि उस वक्त विशेष स्थानों पर पहुँचना सर्वदा संभव नहीं होता था वहीं भौगोलिक सूचना तंत्र (GIS) सुदूर संवेदन गणकों पर आधारित होता है और इससे धरती का कोई भी पहलू छिपा नहीं रह सकता है। भौगोलिक सूचना तंत्र (GIS) का उपयोग करना बड़ा ही विस्तृत होता है। GIS का उपयोग मात्स्यिकी प्रबंधन करने के लिए भी किया जा सकता है। किसी संक्षेप में भौगोलिक सूचना तंत्र (GIS) का उपयोग मात्स्यिकी प्रबंधन संबंधी विभिन्न पहलुओं में करने पर एक अध्ययन करके वर्तमान मात्स्यिकी संसाधनों के इस्तेमाल व इसके देख रेख के संबंधीत विषयों पर उत्कृष्ट योजना और उचित निर्णय लेकर कई संसाधनों का समुचित उपयोग कर यह बात बताई है। 

भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) क्या होता है?

भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) एक प्रकार की ऐसी प्रणाली होती है, जिसे सभी प्रकार के भौगोलिक डेटा को देखने, ढूंढने, स्टोर करने, उसमे हेरफेर करने, उसका विश्लेषण करने, उसका प्रबंधन करने और उसे पेश करने के लिए बनाया गया है। इस तकनीक का सबसे मुख्य शब्द भूगोल होता है और इसका मतलब होता है कि किसी भी डेटा का कुछ हिस्सा किसी स्थानसे जुड़ा हुआ है। साधारण शब्दों में कहा जाए तो यह वो डेटा होता है जो किसी तरह से पृथ्वी पर मौजूद जगहों को संदर्भित करता है। इस डेटा के साथ युग्मित सारणीबद्ध डेटा भी शामिल होता है। इस डेटा को विशेष डेटा के रूप में नाम से भी जाना जाता है। विशेष डेटा आमतौर पर प्रत्येक स्थानीय विशेषताओं के बारे में अतिरिक्त जानकारी के रूप में प्रस्तुत कर सकता है। जैसे कि एक उदाहरण है, एक स्कूल होगा, तो यह उस स्कूल का वास्तविक स्थान स्थानीय डेटा होता है, अतिरिक्त डेटा का उदाहरण है जैसे कि, एक स्कूल का नाम, उसमें सिखाई जाने वाली शिक्षा का स्तर और उसकी छात्र क्षमता, यह एक विशेष डेटा को भी बनाती है। यह इन दोनों प्रकार के डेटा की साझेदारी होती है और यह GIS को स्थानिक विश्लेषण के माध्यम से एक प्रभावी समस्या को हल करने के लिए सक्षम बनाता है।

भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) ऐसी सूचना प्रणाली होती है जो सभी प्रकार के भौगोलिक डेटा को संग्रहित कर सकती है और उस डेटा को स्टोर, विश्लेषण और उसका प्रबंधन कर उसे पेश करने का कार्य भी कर सकती है। GIS मुख्य रूप से वेब पर आधारित एक सॉफ्टवेयर होता है जो स्थानिक आंकड़ों के प्रयोग को विकसित करने की क्षमता को बड़ा सकता है। GIS का प्रयोग जल मौसम विज्ञान, जल गुणवत्ता के स्थल की स्थिति जानने, प्रशासनिक आंकड़ों को जानने, जल ग्रहण को जानने, भू-आवरण करने और जल मार्ग आदि से संबंधित जानकारी को उपयोगकर्ताओं के लिए सरलता से उपलब्ध करा सकता है।

भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) कैसे कार्य करता है?

GIS को एक सॉफ्टवेयर से भी अधिक माना जाता है क्योंकि यह लोगों को और उनकी विधियों को भू-स्थानिक सॉफ्टवेयर और डिवाइस के साथ भी जोड़ने का काम कर सकता है। यह एक स्थानिक विश्लेषण को सक्षम बनाने के लिए एक बड़े डेटा के सेट का प्रबंधन करता है और उस डेटा या सूचना को मानचित्र रूप में प्रदर्शित भी करता है। एक GIS मुख्य रूप से भौगोलिक विशेषताओं पर डेटा को संग्रहीत करने का कार्य करता है। इस संग्रहित विशेषताओं को बिंदुओं, रेखाओं, क्षेत्रों या रेखापुंज में चित्रों के रूप में जाना जाता है। जैसे कि उदाहरण के लिए, एक शहर के नक्शे में किसी सड़क के डेटा को लाइनों के रूप में GIS द्वारा संग्रहीत किया जा सकता है और उसकी सीमाओं को क्षेत्रों के रूप में GIS द्वारा संग्रहीत किया जा सकता है और हवाई फ़ोटो को रेखापुंज की छवियों के रूप में GIS द्वारा संग्रहीत किया जा सकता है।

एक GIS स्टोर स्थानिक सूचकांकों का उपयोग करके किसी भी जानकारी को संग्रहित कर लेता है और यह मानचित्र पर किसी भी मनमानी क्षेत्र में स्थित की सुविधाओं की पहचान करने में भी सहायता प्रदान करता है। जैसे कि उदाहरण के लिए, एक GIS किसी भी बिंदु के निर्दिष्ट त्रिज्या के भीतर और किसी भी एक क्षेत्र से गुजरने वाली सड़क या उस पर मौजूद सभी स्थानों को जल्दी से पहचानने के लिए और उन्हें मैप करने का काम भी कर सकता है। GIS में सारणीबद्ध डेटा (विशेष डेटा) के साथ युग्मित कुछ स्थानिक डेटा जो (पृथ्वी पर कोई जगह) हो सकती हैं। विशेष डेटा आमतौर पर कई स्थानिक सुविधाओं में से प्रत्येक सुविधाओं के बारे में कई सारी अतिरिक्त जानकारी को संदर्भित कर सकता है। जैसे कि उदाहरण के लिए, एक GIS में किसी अस्पताल का वास्तविक स्थान स्थानिक डेटा मौजूद है और उसमें अतिरिक्त डेटा जैसे किसी अस्पताल का नाम, उसके उपचार का स्तर और उसमे मौजूद बिस्तर की क्षमता ही विशेषता डेटा कहलाती है। इसी प्रकार से GIS इन दोनो प्रकार के डेटा का एक संयोजन होता है और यह किसी स्थानिक एनालिसिस के माध्यम से एक प्रभावी समस्या को हल करने के लिए उपकरण भी बना सकता है।

भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) कौन कौनसी अतिरिक्त जानकारी प्रदान करता है?

GIS सुविधाओं के स्थान को बताने के साथ साथ आपको किसी भी सुविधा से संबंधित अतिरिक्त जानकारी भी प्रदान करता है। भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) द्वारा प्रदान की जाने वाली अतिरिक्त जानकारी निम्नलिखित है:

  • GIS आपनो किसी स्थान की विशेषता और उसका अन्य सुविधाओं के साथ संबंध के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
  • GIS आपको जानकारी देता है कि किस जगह यह सुविधा सबसे ज्यादा या सबसे कम मौजूद है।
  • GIS आपको एक विशिष्ट स्थान में प्रदान की जाने सुविधाओं के घनत्व के बारे में भी जानकारी डेटा है। 
  • कुछ सुविधाओं के पास क्या हो रहा है।
  • ब्याज क्षेत्र (एओआई) के अंदर क्या हो रहा है।
  • वर्षों में एक क्षेत्र कैसे बदल गया है।

भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) के भू-स्थानिक डेटा के प्रारूप क्या है?

भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) के भू-स्थानिक डेटा को कई प्रकार के प्रारूपों में बनाया जाता है। GIS के डेटा को विभिन्न प्रकार के प्रारूपों में साझा और संग्रहीत भी किया जा सकता है लेकिन GIS में दो प्राथमिक डेटा प्रकार होते है। एक रास्टर होता है और दूसरा वेक्टर होता है। एक GIS में वेक्टर डेटा को अंकों, रेखाओं या बहुभुजों के रूप में दिखाया जाता है। GIS में विशेषता डेटा को वेक्टर के रूप में बहुत ही अच्छा प्रतिनिधित्व माना जाता है। इसमें डाटा एकदम सटीक स्थान पर होता है और इसमें हार्ड सीमाओं को वेक्टर डेटा के रूप में ही दिखाया जाता है। जैसे कि उदाहरण के लिए देश की सीमाएं, सड़कें, रेल मार्ग और उनकी लाइनों का उपयोग करके या उनके पॉइंट हाइड्रेंट्स के स्थान को इंगित करने वाले को वेक्टर डेटा और बिंदु डेटा के नाम से जाना जाता है। GIS में एक वेक्टर डेटा से बिल्कुल विपरीत रास्टर डेटा होता है। रोस्टर डेटा निरंतर डेटा और विशेष जानकारी के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। रोस्टर डेटा में कठोर सीमाएं या स्थान उपलब्ध नहीं होते है। रास्टर्स डेटा के रूप में किसी डेटा को ग्रिड की कोशिकाओं में एक विशेष श्रृंखला के रूप में दिखाया जाता है। इस प्रकार के डेटा में प्रत्येक सेल में एक विशेषता को दर्शाने वाला और एक प्रतिनिधित्व करने वाला मूल्य शामिल होता है। इस वर्कर के डेटा में ऊंचाई, तापमान, वर्षा, या मिट्टी पीएच जैसी सतहों के लिए बहुत ही उपयुक्त माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह इस प्रकार की घटनाओं को अंतराल में मापता है और यह इसके बीच के मूल्यों को निरंतर सतह बनाने के लिए इंटरपोल किया जाता है। एक रास्टर डेटा में रिमोट सेंसिंग इमेजिंग भी की जा सकती है, जैसे की उदाहरण के लिए हवाई फोटोग्राफी और उपग्रह इमेजरी एक प्रकार के रिमोट सेंसिंग का उदाहरण है।